जगे रहना, जगे रहना, जगे रह........४ जब पूरब जागी त होई सबेरा जगे रहना, जगे रहना, जगे रह जब पूरब जागी त होई सबेरा, जगे रहना, जगे रहना, जगे रह जब पूरब जागी त होई सबेरा, पूरब जागी त होई सबेरा जगे रहना, जगे रहना, जगे रह.........२ के ई जनमले बा हे हमरा माटी पे ई जातिवाद के डेरा...........२ अपराध हत्या जुर्म और नफरत के पसरल बा चाहू और घेरा जाग बिर्न्वा फूटल किरिनिया जागे के आईल बा बेरा............२ जब पूरब जागी त होई सबेरा.........२ जगे रहना, जगे रहना, जगे रह........४ अजगर आ बिषधर करे तन के पोसक कब ले ठठाई सपेरा........२ घर घर में दियना ज्ञानवा के बारे जोगी करत बांटे फेरा हरषाई जन मन निर्भीक जीवन मिट जाई भय के अँधेरा.......२ जब पूरब जागी त होई सबेरा.........२ जगे रहना, जगे रहना, जगे रह........४ जुग जुग ले ना होई रोशन जिनगिया जब ले रही तेरा मेरा..........२ ईन्सानियत के लुकारी जरा के आजे दलिदर खदेरअ हिम्मत ना हारी कुछ ना बिगाड़ी आंदी के पागल बडेरा.............२ जब पूरब जागी त होई सबेरा.........२ जगे रहना, जगे रहना, जगे रह...........४