राति गंवाई सोई के , दिन गंवाई खाई हीरा जनम अनमोल था , कौडी बदले जात हरियर डोलिया के ललका ओहारवा , कन्हिया पे ले के चलले चार गो कंहरवा .. बरिजे ना केहु नाही छेंके ना रोके , जाती दुलहनिया के केहु ना टोके , केहु कहे ना तनि भेजिह समाचारवा , कन्हिया पे ले के चलले चार गो कंहरवा … कंगना आ झुमका कढाईल नथुनिया -2 अईसन श्रींगार भईल कईसन कनिया -2 माथवा पे बिन्दिया , ना आंखी मे कजरवा कन्हिया पे ले के चलले चार गो कंहरवा .. दुर हटे ना सटे केहु कगरी कहियो चले सब जेकरा के रगरी भईले बीराना जईसे संगी इयारवा कन्हिया पे ले के चलले चार गो कंहरवा .. दिन बारि पहिले से रहे ना धराई कईसन रिवाज पहुना के ना बुझाईल केशरी बिदाई तब करे नईहरवा कन्हिया पे ले के चलले चार गो कंहरवा .. हरियर डोलिया के ललका ओहारवा , कन्हिया पे ले के चलले चार गो कंहरवा ..